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क्या आंदोलन, नफरत, बहस रिजर्वेशन का सही विकल्प है ?

आज हो या आने वाला कल मुझे ये कभी भी सलूशन नहीं लगता । शिक्षा में समानता व् गुणवत्ता ही इसका हल हो सकता है ।वर्ष २०१६ में हरियाणा में 10 वी में 60% व् 12वी में 52% विद्यार्थी फेल हुए ।शिक्षा के नाम पर 15 से 16 साल स्कूल में गुजर दिए लेकिन, रिजल्ट ? क्या विकास की कल्पना भी कर सकते हैं हम यहाँ ? अमूमन 40 % विद्यार्थी ऐसे हैं जिन्हे अगली क्लास की बुक रीडिंग तक नहीं आती । करीब 20 से 25 % विद्यार्थी ऐसे हैं जो Alphabets , numbers व् वर्णमाला तक नहीं जानते । ये मेरे नहीं बल्कि ASER ( Annual Status of Education रिपोर्ट) के आंकड़े हैं ।

अब आप ही बताओ यह बच्चे बड़े होकर रिजर्वेशन ही मांगेंगे या नहीं ? फिर चाहे ये किसी भी जाती के हों ,

मोदी जी हों या राहुल जी क्या शिक्षा के इस स्तर पर विकास संभव हैं भविष्य में ?

दूसरी और प्राइवेट स्कूल्स में फीस के नाम पर लूट, गुणवत्ता नाममात्र तथा अध्यापकों का सैलरी के नाम पर शोषण आये दिन बढ़ रहा है .

क्या आपको नहीं लगता की हमें एजुकेशन रिफॉर्म्स की ज़रूरत है,

यदि शिक्षा में समानता व् गुणवत्ता होगी तो समाज स्वाभाविक ही तरक्की करेगा।

इसी तरह किसानो की स्थिति भी दिन प्रतिदिन गिर रही है ।किसानो के लिए भी सरकार को मोटीवेट करने की ज़रूरत है की किसानो को फ्री हेल्थ व् क्रॉप इन्शुरन्स मिले ज़्यादा से ज़्यादा सब्सिडी मिले ।

मुद्दे और भी बहुत हैं लेकिन मेरा समाज culture and agriculture से जाना जाता है ।इसकी पहचान व् शान बनाये रखने के लिए इन दोनों मुद्दों 'शिक्षा में समानता' व् 'किसानो में प्रसन्नता' के लिए हमेशा लडूंगा ।

यदि विधानसभा से मौका मिला तो वहां से पालिसी लाएंगे यदि कहीं जनता को हम नागवार गुजरे तो मैंने एक initiative लिया है , अपनी एक संस्था बनायीं है

' Varun - Ek Goonj ' से हमेशा इन मुद्दों के स्ट्रांग opposition बनकर लडूंगा लेकिन पीछे नहीं हटूंगा ।

आगाज़ तो मैंने कर दिया है बस धीरे धीरे अंजाम तक पहुंचना है ।

उम्मीद करता हूँ आप मेरा साथ देंगे ?


1 comentário


yashveervt
04 de jun. de 2020

यह बिल्कुल सच बात है औऱ में इस बात से बिल्कुल सहमत हूँ क्योंकि एक बच्चे को अगर हम नए तरीको से पढ़ाएं तो बच्चा भी उत्सुकता से पढ़ेगा और कुछ अच्छा और प्रोडक्टिव सीखेगा।

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