मंडी जायो देखो तो जानोगे की आज किसान व जमीदार की हालत बहुत खराब है। मेरी पीड़ा है कि सरकार ने हाल ही में ‘मेरी फसल मेरा ब्योरा’ नाम से पोर्टल बनाया था जिसके तहत किसान को फसल बेचने के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना अनिवार्य था, लेकिन विडंबना ये है की किसान इतना जागरूक नहीं है कि जल्दी से रजिस्ट्रेशन करा पाता , ऊपर से कॉरोना महामारी के चलते किसान को प्रशसन व् सरकारी नियमो के पालन का भी डर है, जिसकी वजह से रजिस्ट्रेशन 50% से भी कम हुआ है , ऊपर से पटवारी भी नहीं बैठ रहे हैं, जिनसे किसान फर्द निकलवा कर ला सके और रजिस्ट्रेशन करवा सके।ऐसे में जल्दबाजी में थोड़ा बहुत काम होने पर कोई किसी के खेत की रजिस्ट्रेशन करा रहा है कोई किसी की जिससे भाईचारा बिलकुल ख़राब हो रहा है ऐसे में उन्होंने इस समस्या का हल देते हुए बताया कि सरकार मेरी फसल मेरा ब्योरा योजना को अगले वर्ष से लागू करे और साथ ही किसान को फसल को आड़ती के द्वारा ही बेचने दें। आड़ती व किसान का रिश्ता बहुत पुराना है, किसान आड़तियो पर भरोसा करते हैं । आड़ती सोशल डिस्टन्सिंग को मेंटेन करते हुए हर दो घंटे में एक किसान को यानि दिन में हर 2 घंटे के अंतराल में 5 किसानों को बुलाकर फसल लें। और काम को सुचारु रूप से चलाने के लिए सरकार रोज़ाना तुली हुई फसल को सिलाई करवाकर ठेकेदार से उठवा कर सरकारी गोदाम पहुंचा दे। इसी के साथ उन्होंने सब आड़तियो से भी आग्रह किया कि लेबर की भारी कमी है तो सब अपनी अपनी लेबर द्वारा एक दूसरे की मदद करके सभी का साथ दें ताकि इस समस्या का निवारण Sammy पर हो सके।जैसा की सरकारी आदेश हैं की एक किसान एक से ज़्यादा ट्रॉली नहीं ला सकती, अब माननिये सरकार को कौन समझाए की ये संभव नहीं है क्यूंकि यदि एक किसान के पास 6 ट्रॉली हैं तो क्या वो 6 दिन अलग अलग आएगा ? इसके अलावा एक दिन में 25 सुबह व् 25 शाम को आने के आदेश हैं, क्या यह स्थिति हास्यपद नहीं है क्यूंकि एक ही किसान की एक ट्राली का नंबर कब आएगा और अगली का कब ? मंडी में 14000 किसानो के रजिस्ट्रेशन हैं, इस हिसाब से तो ये मामला 6 महीने में भी नहीं निबटेगा। इसके अलावा पट्टेदारों की समस्या भी एक गंभीर विषय है, क्यूंकि खेत मालिक १८ % gst व् इनकम टैक्स की वजह से पट्टेदारों के नाम रजिस्ट्रशन नहीं कराएगा तो वहीँ पट्टेदारों बिना रजिस्ट्रेशन के फसल कैसे बेचेगा।
सरकार से गुज़ारिश है की किसान की आवाज़ बनो, आपके phone message से उसकी फसल का समाधान नहीं होगा ।किसान व आड़ती को फसल निबटाने की नीतियाँ बने तो बात बनेगी वरना तो स्पष्ट बात की बात बनाने से कुछ ना होरो भैयायों रे ।
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