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“किसानों का स्वाभिमान वरूण रघुवीर का अभिमान”

Writer's picture: Varun Raghubir TewaitaVarun Raghubir Tewaita

Updated: Aug 2, 2019

हरियाणा मुख्य रूप से कृषि के लिए जाना जाता है फिर भी 2500 किसान रोज खेती छोड़ रहे हैं। एसा ना हो एक दिन यह विरासत ही खत्म हो जाए जब किसान अपने बेटे के लिए जमीन छोड़कर जाता था। आज हरियाणा का युवा पढ़ा लिखा व आधुनिक तो है पर उसके पास रोज़गार नही है सरकारी नौकरियाँ हैं नही व गुड़गाँव दिल्ली की बहुराष्ट्रीय कपंनियां हमें लेती नही क्योंकि हमारे skills टैकनालाजी व मैनेजमेण्ट में इतने अच्छे नही।कयोंकि हमारे skills में, हमारे genes में, हमारे ख़ून में कृषि के गुण हैं हमें इसी में आधुनिक रूप से शिक्षित होना है।

आंकडे बताते हैं कि हरियाणा कृषि प्रधान प्रदेश होते हुए भी मध्य प्रदेश, राजस्थान व हिमाचल का गेहूँ हरियाणा से काफ़ी महँगा है। ये विचारणीय है। हमें बीजों की व मिट्टी की गुणवत्ता बढ़ानी होगी और ये काम कृषि अनुसंधान केन्द्र ही कर सकता है।हमारे खून में कृषि बसी हुई है और हम कृषि में ही ग्रेजुएट होंगे, हम मास्टर्स करेगें लेकिन Eco friendly खेती में, organic खेती मे।हम इंजीनियर बनेंगे वैज्ञानिक बनेगें लेकिन agriculture research मेंऔर अपने हुनर को निखारेंगे। कृषि के स्तर को हमे मिलकर ऊपर उठाना होगा।किसान को ताक़तवर बनाना होगा।इसलिये हर हरियाणा के हर जिले में हमें ऐग्रिकल्चरuniversity व research सेंटर चाहिए

प्रत्येक तहसील में मिट्टी परीक्षण केंद्र (soil testing center)हो जहां खेत की खामियों का पता लगाया जा सके व मिट्टी की quality के अनुरूप खेती हो और गुणवत्ता को भी बढ़ाया जा सके। जैसे हम बीमार होते हैं तो blood testing के बाद ही diagnose होता है कि ये रोग है व ये दवाइ लगेगी , इसी तरह soil testing center ही बताएँगे कि मिट्टी कैसी है व कैसी फ़सल लगेगी। soil card हो हर किसान का जो हर छ महीने में renew हो। हर तहसील में organic कीटनाशक दवाई केंद्र हो।

खेती बचाने व युवाओं जाटों के छोरों को atamnirbhar बनाने के लिए आओ संकलप लें की हर जिले में एक ऐग्रिकल्चर यूनिवर्सिटी व ऐग्रिकल्चर रीसर्च सेंटर अवश्य हो ।

जय किसान जय हरियाणा

वरूण रघुबीर तेवतिया

युवा किसानों का हमसफ़र

Jai kisaan movement


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